संयुक्त राष्ट्र में भारत को मिली बड़ी सफलता

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- संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए लंबे समय से जोर दे रहे भारत को इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र महासभा सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा के लिए राजी हो गई है।
- संयुक्त राष्ट्र के करीब 200 सदस्य देश सुरक्षा परिषद में सुधार से संबंधित दस्तावेज के मसौदे पर अगले एक साल तक चर्चा करने के लिए राजी हो गए। सदस्य देशों ने यह फैसला सर्वसम्मति से लिया है।
- संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह पहला मौका है, जब महासभा के सदस्य राष्ट्रों ने इस सुधार प्रस्ताव के लिए अपने लिखित सुझाव दिए हैं। हालांकि अमेरिका, चीन और रूस ने इस कवायद में शामिल न होकर भारत के प्रयास में अड़ंगा डालने की कोशिश की।
- गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई देशों से सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए सहयोग मांग चुके हैं। उनका कहना है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र अपनी 70वीं वर्षगांठ मना रहा है और सुधार के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है।
=>सुरक्षा परिषद :-
- सुरक्षा परिषद इस वैश्विक संगठन में निर्णय लेने वाला शीर्ष अंग है। इसके पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
=>अब आगे क्या होगा :-
- महासभा द्वारा चर्चा के लिए स्वीकृत प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के अगले साल के एजेंडे पर बात की गई है।
- इसका विषय "सुरक्षा परिषद की सदस्यता में बढ़ोतरी या बराबरी का प्रतिनिधित्व" है।
- एक बार मसौदा तैयार हो जाने के बाद उसे महासभा में मतदान के लिए रखा जाएगा
- यहां उसे पास होने के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत पड़ेगी।
सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए लंबे समय से प्रयासरत भारत ने इस निर्णय का स्वागत किया है. इस महत्वपूर्ण संस्था की सदस्यता के लिए भारत एक मजबूत दावेदार है और उसे अनेक देशों का समर्थन प्राप्त है.
पांच मौजूदा स्थायी सदस्यों ने भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की दावेदारी पर मुहर लगायी है, पर इन देशों ने सुधार की कोशिशों में बहुधा अड़चनें भी पैदा की हैं. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष निर्णायक इकाई सुरक्षा परिषद में फिलहाल पांच स्थायी सदस्यों- चीन, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस- के अतिरिक्त 15 अस्थायी सदस्य हैं.
सदस्य देशों के बीच बहस के बाद अंतिम प्रस्ताव पर महासभा निर्णय लेगी. इसके पारित होने के लिए दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. हालांकि इस प्रक्रिया के पूरा होने में समय लग सकता है, पर संयुक्त राष्ट्र को अधिक लोकतांत्रिक और प्रातिनिधिक बनाने की कोशिशों को इससे बल मिलेगा. अभी चार देशों- भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान- का समूह सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के ठोस दावेदार हैं.
इनके अलावा नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और सेनेगल भी अफ्रीकी महादेश की ओर से अपना दावा करते रहे हैं. दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, तुर्की और इंडोनेशिया भी आनेवाले समय में उम्मीदवार बन सकते हैं. मौजूदा निर्णय भारत समेत कुछ अन्य देशों की गंभीर कूटनीतिक कोशिशों का नतीजा है, लेकिन सदस्यता के इच्छुक दावेदारों को समर्थन जुटाने के लिए लगातार प्रयत्न करना होगा.
जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत, इथियोपिया और नाइजीरिया संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सबसे अधिक योगदान देते हैं, वहीं इस सेना में सबसे अधिक आर्थिक योगदान अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और चीन का है. इन देशों की राय अंतिम निर्णय में बहुत महत्वपूर्ण होगी.
आमसभा में मतदान में वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य की भी अहम भूमिका होगी. ऐसे में भारत को अधिकाधिक समर्थन जुटाने के लिए कूटनीतिक प्रयासों के साथ वैश्विक राजनीतिक वातावरण का संज्ञान लेते हुए संभावित विरोधियों को भी भरोसे में लेने की कोशिश करनी होगी.

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