पहली जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी"


- देश में पहली बार कराई गई सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना 2011 की रिपोर्ट केंद्र सरकार ने सार्वजनिक की है।यह 1932 के बाद पहली बार क्षेत्र, समुदाय, जाति, आय वर्ग पर आधारित जनगणना है।
- हालांकि, जाति आधारित आंकड़े जारी नहीं किए गए। सरकार की ओर से कहा गया कि जाति आधारित आंकड़े दूसरा मंत्रालय जारी करेगा। हालांकि, ये कब होगा, इस बात की जानकारी नहीं दी गई।
- रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ये आंकड़े आम जनता तक सरकारी नीतियों का लाभ सही ढंग से पहुंचाने की दिशा में फायदेमंद साबित होंगे।
- आंकड़े केंद्र के अलावा राज्य सरकारों के लिए भी बेहद अहम हैं और इससे भारत की सही तस्वीर सामने आएगी।
=>क्या था इस Census का मकसद?
- 2011 में शुरू हुए सोश्यो इकोनॉमिक और कास्ट सेंसस का मकसद यह पता करना था कि अलग-अलग जाति के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है। यह Census 21 राज्यों के 640 जिलों में हुआ।
- इस Census के जरिए सरकार गरीबी की असली वजह तक पहुंचने की कोशिश करेगी। इसी डेटा के आधार पर मनरेगा, नेशनल हाउसिंग मिशन, नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम और इंदिरा आवास योजना को आगे बढ़ाया जाएगा।
=>देश में अभी कितने गरीब?
आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन की समिति के मुताबिक देश में 29.5% बीपीएल कैटेगरी में है। वहीं, सुरेश तेंडुलकर समिति ने देश में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की संख्या 21.9% बताई थी।
=>Census की 5 बड़ी बातें
1. कितने परिवार देते हैं इनकम टैक्स?
- चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यन के मुताबिक 4.6% ग्रामीण भारतीय परिवार ही इनकम टैक्स अदा करते हैं।
2. देश में कितने परिवार, उनमें से कितने गांवों में?
- कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं। इनमें से 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं। 2.37 करोड़ परिवार एक कमरे के कच्चे मकानों में गुजारा कर रहे हैं। 4.21 करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनमें रह रहे 25 साल से ज्यादा उम्र के सभी मेंबर्स को कभी कोई एजुकेशन नहीं मिल सकी।
3. कितने परिवार महिलाओं के बूते चल रहे हैं?
- 65 लाख परिवार ऐसे हैं जहां किसी वजह से घर में कोई बड़ा सदस्य नहीं है। सारे सदस्य नाबालिग हैं। वहीं, 68.96 लाख परिवार ऐसे हैं जिनकी मुखिया महिला है। इनमें से सिर्फ 16 लाख परिवार ही ऐसे हैं जहां की महिला मुखिया 10 हजार रुपए/महीना से ज्यादा कमा रही हैं। बाकी परिवारों में महिलाएं इससे भी कम इनकम में अपना घर चलाने को मजबूर हैं।
4. कितने परिवार सिर्फ खेती के कारण चल रहे हैं?
- गांवों में रहने वाले 17.91 करोड़ परिवारों में से 5.39 करोड़ घर खेती के कारण चलते हैं। 44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में काम कर गुजारा कर रहे हैं। 4 लाख परिवार कचरा बीनकर अपना घर चला रहे हैं। 6.68 लाख परिवारों का गुजारा भीख मांग कर हो रहा है।.
5. कितने परिवार नौकरियों के कारण चल रहे हैं?
- 2.50 करोड़ परिवार यानी देश के कुल परिवारों में से सिर्फ 14% घर सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के कारण चल रहे हैं।
- जिस घर में फ्रिज है, उसे सरकार ने इस Census में शामिल नहीं किया
- इस Census में सरकार ने उन परिवारों को शामिल नही किया जो 14 तय पैरामीटर में से किसी एक में भी शामिल हैं। व्हीकल, खेती से जुड़ी मशीनें, 50 हजार रुपए से ज्यादा लिमिट वाला किसान क्रेडिट, तीन या उससे ज्यादा कमरों वाले पक्के मकान, लैंडलाइन फोन और यहां तक कि घर में फ्रिज होने पर भी उस परिवार को Census से बाहर रखा गया।

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